Sunday, December 14, 2025
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बिना व्यवसाय के शिक्षा के साथ संस्कार देने वाला स्कूल कोई है तो सरस्वती शिशु मंदिर ….लक्ष्मीकांत दुबे

रायगढ़ / बदलते परिवेश मे शिक्षा पूरी तरह व्यवसाय का रूप ले रखा है, पहले शिक्षण संस्थानों को मंदीर का दर्जा दिया जाता था अब इसे व्यवसाय/ दुकान का रूप दिया जाने लगा है और शिक्षण संस्थान इसे व्यापार के रूप मे संचालित करने लगे हैं l
जहा तक मेरा मानना है कि वास्तव मे शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार देने वाला कोई स्कूल है तो वाकई सरस्वती शिशु मंदीर है, यहाँ जो संस्कार बच्चों को दिये जाते है वो अन्य स्कूलों मे नही दिया जाता l प्राथना, भोजन ग्रहण करने से पहले मंत्र, गुरुओ का संम्मान, गुरुओ का आदर पूर्वक आचार्य जी और दीदी जी, काम करने वाली महिलाओं को मैया और पुरुषों को भैया, गुरुओ द्वारा अपने शिष्य को भैया और बहिन शब्द से संबोधित करना आदि आदि हर व्यावसायिक स्कूलों से भिन्न है l शिक्षा और संस्कार भी अन्य स्कूलों की तुलना मे कम शुल्क पर उपलब्ध कराया जाता है l मानसिक , बौद्धिक व शारीरिक विकास के लिए हर संभव प्रयास किया जाता है यहा के आचार्य और दीदी भी सेवा भाव से अपनी सेवाएं बहुत कम वेतन मे देती है और अच्छा परिवेश व तालीम बच्चों को मिल सके उसके लिए हर संभव प्रयास करती हैं l
अन्य स्कूलों की तुलना की जाए तो अब स्कूल प्रबंधक स्कूल को मोटी कमाई के लिए खोलने लगे हैं और यह पूरी तरह व्यावसाय का रूप ले रखा है शिक्षा केसाथ साथ हर अन्य गतिविधि के नाम पर वसूली करने लगे हैं जिसका असर आम आदमी के जेब पर पड़ने लगा है l अन्य स्कूल अब लोगों को लुभाने तरह तरह के हथकंडे अपनाने लगे हैं और खूब पब्लिसिटी कर वाहवाही बटोरने मे लगे हैं l शिक्षा और संस्कार को भूल अब पाशच्यात सभ्यता को बढ़ावा देने लगे हैं l
मेरी एक सर्वे के मुताबिक सरस्वती शिशु मंदीर की तुलना मे कोई भी ऐसा स्कूल नही होगा जहा शिक्षा के साथ साथ अच्छे संस्कार और सेवाभाव परोसा जाता हो किंतु दुखद यह है कि इस विचार धारा से जुड़े लोग आर एस एस, बीजेपी, ए बी वी पी और अन्य अनुशाङ्गिक संगठन के लोग भी केवल अपनी राजनीतिक रोटी सेकने के लिए इन संगठनो से जुड़े है जबकि लोगो को इस विचार धारा से जुड़ना चाहिए और खासकर ऐसे लोगों को कम से कम अपने परिवार व अपने से जुड़े लोगों के बच्चों का अनिवार्य रूप से दाखिला कराना चाहिए ताकि व्यावसायिक शिक्षा की दुकान चलाने वालों का अंत हो और सरस्वती शिशु मंदिर अपने कम शुल्क मे अच्छी शिक्षा, संस्कार और सेवा भाव के लिए तत्पर रहे l मेरे सर्वे के मुताबिक इस विचार धारा के लोग खुद अपने बच्चों का कॉन्वेंट् स्कूलों मे दाखिला करा रहे हैं और इसी विचार धारा के लोग ऐसे स्कूलों का संचालन कर रहे है यह कथन चीफ ऑडिटर लक्ष्मीकांत दुबे का है जिसने सरस्वती शिशु मंदिर में सेवा देने वाले गुरुजनों व समस्त सहयोगियों को गुरुपूर्णिमा के शुभ अवसर पर सादर प्रणाम करते हुए हार्दिक शुभकामनाएं प्रिंट मीडिया रायगढ़ माटी एवं इंडिया क्राइम न्यूज नेशन टीम परिवार के तरफ से।

Shyam Kumar Gupta
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