Saturday, December 13, 2025
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जल–जंगल–जमीन के दोहन पर बड़ा सवाल: क्या विनाश की कीमत पर विकास चाहता है तंत्र? — श्याम गुप्ता सामाजिक कार्यकर्त्ता

प्रकृति का हर हिस्सा घायल, मानव जिम्मेदार”— सामाजिक कार्यकर्ता श्याम गुप्ता का सरकारों से तीखा सवाल

छत्तीसगढ़ के सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रेस रिपोर्टर क्लब के प्रदेश संरक्षक श्याम गुप्ता ने जल, जंगल और जमीन के निरंतर दोहन पर गंभीर चिंता जताते हुए राज्य व केंद्र सरकार से तीखे सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने मानव को अपने विशाल तंत्र का केवल एक छोटा-सा हिस्सा बनाया था, लेकिन आज मानव अपनी स्वार्थपूर्ण नीतियों और अंधाधुंध विकास की दौड़ में हजारों जीव-जंतुओं, वन संपदा और प्राकृतिक संसाधनों को भारी नुकसान पहुँचा रहा है। यह स्थिति न केवल पर्यावरण के लिए घातक है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के लिए भी गहरा खतरा बन चुकी है।

श्याम गुप्ता ने स्पष्ट कहा कि आज विकास के नाम पर जंगलों की कटाई, जलस्रोतों का प्रदूषण, खनन विस्तार और जमीन अधिग्रहण जिस तीव्रता से बढ़ रहा है, वह चिंताजनक है। उन्होंने सवाल उठाया कि “क्या राज्य सरकार और भारत सरकार विनाश के रास्ते पर चलते हुए विकास की इमारत खड़ी करेंगी?”
उनका कहना है कि अगर प्राकृतिक संसाधन समाप्त होते गए, तो विकास मॉडल केवल कागजों में ही बचेगा और धरातल पर जीवन संकट में पड़ जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि प्रकृति की हर इकाई—चिड़ियों से लेकर वन्यजीवों तक, नदियों से लेकर पहाड़ों तक—सब इंसानी लालच का शिकार बन चुके हैं। गुप्ता ने चेताया कि यदि सरकारें समय रहते सतत विकास की दिशा में कदम नहीं बढ़ातीं, तो समाज एक बड़े पर्यावरणीय विनाश की ओर बढ़ेगा।

सामाजिक कार्यकर्ता ने इस मुद्दे पर व्यापक जनजागरण की जरूरत बताते हुए नागरिकों, संगठनों और सरकारों से अपील की कि प्रकृति संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी, तभी सच्चे अर्थों में विकास संभव है।

Shyam Kumar Gupta
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