
भगवान परशुराम — वह तेजस्वी अवतार जिनमें तपस्विता और वीरता का अनुपम संगम देखने को मिलता है। एक ओर वे ऋषियों की मर्यादा का प्रतीक हैं, तो दूसरी ओर अधर्म के विरुद्ध उठने वाली क्रांति की ज्वाला। परशुराम न केवल शस्त्र के ज्ञाता थे, बल्कि वे शास्त्र के भी मर्मज्ञ थे। उनके जीवन का हर क्षण अन्याय के विरुद्ध संघर्ष और धर्म की स्थापना को समर्पित था।
इस पावन अवसर पर हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अन्याय और असत्य के विरुद्ध डटकर खड़े होंगे। हम अपने कर्तव्यों का निष्ठा और समर्पण से पालन करेंगे, और समाज में शांति, समानता और सदाचार की स्थापना में अपना योगदान देंगे।
“परशुराम वह पुकार हैं जो अधर्म के विरुद्ध उठती है,
परशुराम वह दीप हैं जो अंधकार में भी धर्म का प्रकाश देते हैं।”
आइए, परशुराम जयंती पर उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारें और एक न्यायपूर्ण समाज के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ें।
जय श्री परशुराम!